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Sathi Sath Nibhana

Sathi Sath Nibhana

SKU: 1498STHNBHN
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ना कर तू इस क़दर जानां मेरे वज़ूद को दरगुज़र
तू जो चाहे तो कर दूँ रौशन बन चराग़-ए-रहगुज़र।
है ऐसी भी क्या बेरूख़ी इस ख़ाकसार से भला
तू जो कह दे तो बन जाऊं तेरी मंज़िल की गुज़र।

❤❤प्रवीणा

इजाजत तो दो हमें की तुम्हारे लिए कुछ कर दिखाएं,
तुम कहो तो सही तुम्हारे प्यार में हंसते-हंसते मर जाएं।

दीक्षा रघुवंशी नायक


थोड़ी सी मुहब्बत थी,बहुत सी चाहत थी,
तेरी बाहों का घेरा था, दिल को बड़ी राहत थी...।

उत्सव "काव्य "

बड़ी शिद्दत से किया है खुद पर ऐतबार,
दरिया ए रहमत और वफ़ा की मैं तलबगार।

उषा सिंह

  • Compiler

    Pritam Singh Yadav And Sujata Kashyap

  • ISBN

    9789354523489
  • Publication House

    Spectrum Of Thoughts
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