Sathi Sath Nibhana
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ना कर तू इस क़दर जानां मेरे वज़ूद को दरगुज़र
तू जो चाहे तो कर दूँ रौशन बन चराग़-ए-रहगुज़र।
है ऐसी भी क्या बेरूख़ी इस ख़ाकसार से भला
तू जो कह दे तो बन जाऊं तेरी मंज़िल की गुज़र।
❤❤प्रवीणा
इजाजत तो दो हमें की तुम्हारे लिए कुछ कर दिखाएं,
तुम कहो तो सही तुम्हारे प्यार में हंसते-हंसते मर जाएं।
दीक्षा रघुवंशी नायक
थोड़ी सी मुहब्बत थी,बहुत सी चाहत थी,
तेरी बाहों का घेरा था, दिल को बड़ी राहत थी...।
उत्सव "काव्य "
बड़ी शिद्दत से किया है खुद पर ऐतबार,
दरिया ए रहमत और वफ़ा की मैं तलबगार।
उषा सिंह
Compiler
Pritam Singh Yadav And Sujata Kashyap
ISBN
9789354523489Publication House
Spectrum Of Thoughts
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