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Sahityik Aavaran

Sahityik Aavaran

SKU: 2177SHAVRN
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जब भी साहित्य की बात हो और हमारी मातृभाषा पिछड़ जाए ऐसा संभव नहीं। बेशक अंग्रेज़ी भाषा ने अपनी धाक जमा ली है परंतु अब हिन्दी का पुनःशासन स्थापित होने में ज़्यादा देरी नहीं है और ना ही ज़्यादा दूरी। हर रचनाकार अपने भाव गद्य और पद्य के माध्यम से समाज को आईना दिखाने में सक्षम है। कई इतिहासकार भी कुछ ऐसे काव्य नज़्म, गज़ल आदि लिख गए जो नवयुग के कवि व कवयित्री द्वारा सोच-विचार करने भी मुश्किल हैं। काव्य की विधाओं में अभिव्यक्ति गढ़ना गागर में सागर जैसा होना चाहिए जो केवल एक निरंतर व अथक प्रयासों से ही संभव है। अथाह गहराइयों में डुबकी लगाता निराश मन सर्वाधिक रचनाएँ गढ़ता है।

मैं नीना अमित झा, श्रीमान प्रीतम सिंह यादव जी का आभार व्यक्त करती हूँ जिन्होंने मुझे साहित्य एवं प्रकाशन प्रणाली से जुड़ने का अनुभव दिया एवं मेरे संपादकता के हुनर को जगजाहिर किया। सभी रचनाकारों का सहृदय आभार जिन्होंने हिन्दी भाषा को बढ़ावा देने में मेरा सहयोग किया। सभी के लिए हिन्दी का अपना महत्व है। किसी के लिए प्यारी न्यारी है, तो किसी के लिए हिन्दी संवैधानिक और अधिकारिक है, किसी के लिए हिन्दी भाषा समाज में बहू-बेटी सा महत्व रखती है, तो किसी के लिए हिन्दी अंग्रेज़ी भाषा से उच्चतम स्थान दर्ज करती है। कुछ रचनाएँ बेशक लंबी है किंतु यह रचनाकार की असीमित अभिव्यक्ति व्यक्त करती है, कहीं गागर में सागर की भांति गहरी व अमूल रचनाएँ भी हैं जिन्हें पढ़कर मन तृप्त हो सोचने पर मजबूर हो जाता है।

साहित्यिक आवरण साझा काव्य संकलन आपको साहित्य की ओर ले जाता हुआ एक अविश्वसनीय मार्ग दर्शाता है। साहित्य का आवरण लिए हिन्दी चारों ओर अपना पराक्रम, शौर्य, प्रसिद्धि व गुणगान सुनाने लगी है। अनेकों मंच विदेशी भाषाओं को पछाड़ते हुए हिन्दी भाषा का महत्व बड़ी बारीकी से समझाने लगे हैं। महत्वाकांक्षी एवं न्यायप्रिय लोग हिन्दी की ओर रुझान करने लगे हैं। किसी विधा का ज्ञान ना रखते हुए भी बहुत प्रशंसनीय सलीके से लोग हिन्दी भाषा को सीखने व लिखने का हुनर लिए बैठे हैं जो दिन प्रतिदिन अपने भाव अपने जज़्बात ही नहीं अपितु समाज, प्रकृति, देश, मिट्टी, स्त्री, शिक्षा इत्यादि विषयों पर बखूबी काव्य रचने लगे हैं। बहुत से लोग आलेख निबंध गद्य पद्य एवं लघु कथा के माध्यम से हिन्दी भाषा को सरल, सहज व सर्वोत्तम बनाते हैं।



संकलनकर्ता

नीना अमित झा

तनुजा नारवारा

Quantity
  • Compiler

    Neena Amit Jha, Tanuja Narwara

  • ISBN

    9789354528842
  • Publication House

    Spectrum Of Thoughts
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