Kalam Bezuban
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दोस्तों आपने अक्सर कई बार देखा होगा जहाँ पर शब्द काम नहीं आते वहां पर कलम काम आती है। कलम की कोई आवाज़ ना होकर भी वह अपने शब्दों के माध्यम से अपना सन्देश निर्धारित लक्ष्य तक पहुँचाने का काम करती है। ऐसी कोई भी भावनाएं नहीं है जिन्हें कलम से व्यक्त ना किया जा सके, बल्कि जहाँ पे मुख मौन हो जाते हैं वहां कलम दवा बन कर सामने आती है।मनुष्य की व्यक्तिगत विशेषता है कि वह किसी भी स्थिति में अपनी भावनाएं व्यक्त किए बिना नहीं रह सकता । ऐसे ही कुछ उम्दा कवियों की कविताओं से सुसज्जित कर हमने ये किताब 'कलम बेज़ुबाँ ' बड़े प्यार और स्नेह से आप सब के समक्ष प्रस्तुत की है। उम्मीद है आपको ये किताब पसंद आये और आप इसे अपना ढेर सारा प्यार दें।
संकलनकर्ता
प्रीतम सिंह यादव
डॉ.महिमा दुबे
Compiler
Pritam Singh Yadav, Dr. Mahima Dubey
ISBN
9789354528798Publication House
Spectrum Of Thoughts
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