ये णदल ही तो है जो एहसास के जज़्बातो़िं से भरा होता है,
सोचता बहुत है पर बस कई बार कु छ बया़िं नही़िं होता है,
शब्दो़िं की ख़ूबस़ूरती का क्या कहना है बस मत प़ूणछए,
णदले- ार मेंणदल की दस्तक नक़्श-ए-कदम होता है।
Author
Archana Gupta
ISBN
9789354521003
Publication House
FanatiXx Publication
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