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Poetry
Gumnam Jazbaat
कुछ जज़्बात हम कहना चाहते है लेकिन कह नहीं पाते, कुछ मेरे दिल में ही रह जाते है और कुछ रात के अंधेरे में हमारे तकियों में कैद हो जाते है। "गुमनाम जज्बात" में ऐसे ही अनकहे जज़्बातों को आवाज देने का प्रयास किया है, दिल में कैद यादों को अल्फाज़ दिए है और तकिये में कैद आँसुओं को खुला आसमान दिया है|
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