मौका | Aakanksha Tiwari
हां बोलो, क्या है? तुम क्यों नहीं समझती! मैं कर रहा हूं ना सब ! और मैं कर भी लूंगा तुम्हें सिखाने की जरूरत नहीं है।
"ठीक है मुझे क्या बाद में मत कहना कि गलती हो गई" ,सीमा से झिड़कते हुए कहा और अपने ऑफिस को चली गई।बच्चे तब तक स्कूल जा चुके थे । रोहन का ऑफिस रात का था पर फिर भी वो सुबह जल्दी उठ जाता था ,दरअसल उसे अपनी नौकरी पसंद नहीं थी ,और घर में दोनों मिया - बीबी काम करते थे इसलिए बच्चों की देखभाल भी मुश्किल हो रही है ।सोनू अब दस साल का हो गया है और राधिका सातवें वर्ष में लग चुकी थी,और दूसरे दर्जे में पढ़ रही है।
सीमा ने यही कोई छः महीने पहले नौकरी ज्वाइन की है तब से ही समस्या शुरू हो गई ।
इधर सीमा की नौकरी से रोहन कुछ मुक्त सा हो गया ,आर्थिक चिंताएं अब उसे नहीं सताती इसलिए उसका काम में मन नहीं लगता ,ऑफिस से छुट्टियां लेने लगा है ,।उसका वर्षों पुराना पसंदीदा काम करने का मौका उसे साफ दिखाई दे रहा है ,इसलिए काफी दिनों से सीमा से कुछ कहना चाहता है।
"सीमा मैं क्या सोच रहा था कि दोनों नौकरी कर रहे है इसलिए बच्चो पर ध्यान नहीं दे पा रहे अभी वो इतने बड़े भी तो नहीं हुए और घर में कोई है भी तो नहीं को उसके सहारे उन्हें छोड़ा जा सके "
तुम क्या कहना चाहते हो ,तुम्हे पता है ना ,मैंने इस मुकाम तक पहुंचने के लिए कितनी मेहनत की है।
जनता हूं मैं,इसलिए कह रहा हूं कि.......
कि क्या रोहन की मैं नौकरी छोड़ कर फिर से घर में बैठ जाऊ और सिर्फ इन चार दिवारी को ही अपनी दुनिया समझ लूं!
नहीं ! मैं तुम्हें नौकरी छोड़ने को नहीं बोल रहा!
फिर क्या कहना चाहते हो?
मैं अपनी नौकरी छोड़कर घर का काम संभालना चाहता हूं।
क्या सच में ?