पिता एक ज्योत
पिता एक ज्योत,
जिसकी रोशनी सदैव बनी,
ना किसी से आशा रखे,
ना कोई सम्मान चाहे।।
दिए समान खुद जलकर,
घर को रोशन करे।
घर की जान,
प्यार का परिमान।।
एकता का द्वितीय नाम,
विश्वास का स्थान।
करुणा का स्रोत,
प्रेरणा भरा जोस।।
हर व्यक्ति को मान,
यही सीख देते सदैव।
अपने बच्चो मे ही,
पाए अपना सम्मान।।
प्रोत्तसाहश का दूसरा नाम,
एक पिता ही हैं......
जो चाहे अपने बच्चो,
का अव्वल स्थान।।
मेरे पिता ही मेरा सम्मान।।
Written by: Rupal Bhanushali
Instagram: @someone_amongst_u